उरई नगर बुन्देलखण्ड क्षेत्र का तीसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है तथा जालौन जिले के मुख्यालय के रूप में स्थित है यह नगर वाणिज्यिक नगर के रूप में अपनी महत्ता रखता है। वर्ष 1986 के पूर्व केवल कृषि पर आधारित छोट-छोटे कृषि यन्त्र बनानें के उ़धोग स्थित थे। वर्ष 1986 में उत्तर प्रदेश राज्य औधौगिक विकास निगम द्वारा उरई कानपुर मार्ग के उत्तर-पश्चिम की ओर लगभग 500 एकड़ भूमि औधौगिक विकास हेतु अधिगृहित की गई है तथा उसके विकसित करनें का कार्य अभी भी प्रगति पर है। चूंकि उरई नगर राष्ट्रीय मार्ग पर स्थित है,इसलिये इस नगर का विकास यातायात केन्द्र के रूप में तीव्र गति से हो रहा है तथा भविष्य में भी होनें की संभावना है।
वर्तमान समय में उरई नगर भी अन्य नगरों की भाॅंति नगरीकरण की प्रक्रिया से प्रभावित है। अनियोजित विकास को नियोजित करनें, उधोगों को बढ़ावा देनें, क्षेत्रीय असन्तुलन दूर करनें तथा नगर के नियोजित विकास की दिशा को सुनिश्चित करनें की आवश्यकता उत्पन्न हुई। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये महायोजना का निर्माण हुआ। इस महायोजना में नगर की बढ़ती हुई आवश्यकताओं के साथ-साथ 2006 तक अनुमानित 2 लाख की जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्राविधान किया गया है।
नगर के सम्भावी विकास को ध्यान में रखकर राज्य सरकार नें उत्तर प्रदेश (निर्माण कार्य विनियमन) अधिनियम 1958 के अधीन अधिसूचना संख्या 635/37-3-86-3 आ0ए0/84, लखनऊ 30 जुलाई,1986 द्वारा उरई नगरपालिका एवं उसके आस-पास के 16 राजस्व गाॅंव के क्षेत्र को विनियमित क्षेत्र घोषित किया |
उरई कानपुर मार्ग पर ग्राम सरसौखी में यू.पी.एस.आई.डी.सी. द्वारा औद्योगिक क्षेत्र विकसित किये जाने के कारण इस क्षेत्र में भी नियंत्रण किया जाना आवश्यक समझा गया था। अतः शासन के अधिसूचना संख्या 3035/37-3-87-3 आर.ए.-48, लखनऊ 31 दिसम्बर, 1987 द्वारा पूर्व घोषित विनियमित क्षेत्र में संशोधन करके सरसौखी ग्राम को सम्मिलित करते हुए अधिसूचना प्रकाशित की गई।